माधोप्रसाद कोई अनोखा अजूबा या अनदेखा सा आदमी नहीं है । आपने भी अवश्य देखा होगा उसे। आपको यकीन नहीं आता? चलिए , मैं आपको अभी मिलवाता हूँ।
दोस्तों ! दरअसल मैं आप लोगों की अनुमति और अनुशंसा चाहता हूँ। यदि आप लोगों की आज्ञा होगी तो मैं आप सबको माधोप्रसाद की बहुत सारी कहानियाँ सुनाना चाहूँगा। सिलसिलेवार, धारावाहिक की तरह।
इसका कारण बस इतना है कि माधोप्रसाद है ही इतना प्यारा कि आप भी जानेंगे तो आप भी उससे प्यार कर बैठेंगे । अरे! नज़र घुमा कर देखिये - आपके बगल में ही कोई माधोप्रसाद खड़ा होगा।
चौंकिए मत , मोधोप्रसाद किसी व्यक्ति का नहीं, प्रवृत्ति का नाम है।
तो फिर आप सब मुझे अनुमत करें तो मैं मधोपसाद की नई कहानी आपके नज़र करूँ!
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1 टिप्पणी:
मेरी शायरी ने आपके मन को भाया उसके लिए धन्यवाद! मेरे दूसरे ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
माधोप्रसाद के बारे में जो आपने लिखा है काफी दिलचस्प लगा रविन्द्र जी! लिखते रहिये!
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