स्कूल ने आकृति भाटिया को मरने दिया।
अब, स्कूल को, प्रशासन को, प्रशासक को आप क्या सज़ा मुक़र्रर करते हैं?
क्या स्कूल में पढने भेजे बच्चे के स्वास्थ्य आदि की जिम्मेदारी (निगरानी ) क्या माँ-बाप रख सकते हैं?
उन स्कूलों को , जिनकी मासिक वसूली करोड़ों की है, वे बच्चों की सुरक्षा, उनके कल्याण बगैरह की कितनी चिंता रहती है?
आपके बच्चे भी इस तरह के स्कूलों में जाते होंगे, विचार कीजिए ।
तय है कि स्कूल के मालिकानों का हाथ लंबा और तगड़ा होगा -
नेता, जज , पुलिस और समाजसेवी-संस्थाएं सभी उनकी जेब में पड़े होंगे !
उनका कुछ नहीं बिगडेगा -
फिर आप और मै इस तरह के लोगों-स्वार्थी और नीच लोगों को निंदा के नमक से गला डालेंगे।
आइए हम सब मिलकर अपील करें-
आकृति के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले
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8 टिप्पणियां:
मैं आपके विचारों से सहमत हूं। धंधेबाजी ने इंसानियत को तबाह कर दिया है।
Shiksha sansthan paise kamane ka jariya matra ban kar rah gaye hain..
thankyou for stopping by..
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत ही अच्छा लगा ! आपने बिल्कुल सही फ़रमाया और आपके विचारों से मैं सहमत हूँ !
मैं भी आपके विचार से सहमत हूँ! इंसानियत नाम की कोई चीज़ ही नहीं रही!
आपकी इस अपील में मेरी आवाज़ भी शामिल करें.
main aap sabka shukriya karta hun tatha aur bhi ninda-namak ki mang karta hun taki un tattvon ko galaaya ja sake. dhanyavad!
आपके नए पोस्ट का इंतज़ार कर रहे हैं!
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