कोई बारहवीं का छात्र, समर्थ, कथित रूप से आत्महत्या कर चुका है। उसके जागरूक पिता और परिजन उसकी 'बाला-मित्र ' के पिता पर यह आरोप लगा रहे हैं कि इन्होने ही इस मासूम से समर्थ को आत्महत्या के लिए उकसाया है। मामला गंभीर भी है, मजेदार भी। गंभीर इसलिए, क्योंकि मसला मौत का है और मजेदार इसलिए कि ऐसा आरोप मैंने पहली बार सुना है।
हालाँकि यह कोई नहीं जानता कि आत्महत्या के लिए दरअसल उकसाया किसने ? उसकी गर्लफ्रेंड के पिता ने या स्वयं इसके पिता ने ? लेकिन कुछ मेल वगैरह को साबुत बना कर समर्थ के व्यवसायी समझ के पिता उस पिता से ब्लैकमेल कर रहा है जो भारतीय समाज में एक लड़की का पिता है। और, गौरतलब है कि हमारा जागरूक मिडिया बड़े ही अद्भुत ढंग से इस नाटक में निर्देशक , निर्माता तथा कैमरा मैन की भूमिका अदा कर रहा है।
मुझे बेहद ख़ुशी है कि हमलोग अब बहुत तरक्की कर चुके हैं। यदि कोई बेटी या बहन से प्यार करता है यानि पटाता है तो हमें बहुत खुश होना चाहिए और उस महान पुरुष को एकांत प्रदान करना चाहिए, खासकर जब वह आपकी बेटी को बहला रहा हो। अगर आपने उस लड़के को यह कहा कि .......... तो वह दुखी होकर आत्महत्या कर सकता है और उस मासूम की हत्या की जिम्मेदारी आपकी होगी। और तमाम न्यूज पेपर वाले और न्यूज चैनल वाले आपका जीना हराम कर सकते हैं। क्योंकि अमेरिका में ऐसा ही होता होगा।
बेचारे बापों की कितनी ही बेटियों ने फरेबी प्रेमियों के छल के मारे आत्मघात करती हैं और गरीब बाप भारतीय समाज का होने के नाते कितना जिल्लत और फजीहत भोगते हुए अधमरा होकर रह जाता है ....... इसका भी दस्तावेज बने।
मेरी समझ है कि समर्थ के बाप ने अपने बेटे को जलील किया, जुबानी जलील किया -इस वजह से उसके बेटे ने आत्महत्या की लेकिन उसका ओछा बाप इसकी जिम्मेदारी उसकी कथित प्रेमिका के बाप पर डाल रहा है।
भारत जैसे देश में बेटी का बाप यूँ ही अधमरा होता है उसे और मत मारो, समर्थ के बापको पकड़ो , असली अपराधी वही है और अपने कुकृत्य को छुपाने के लिए सारा प्रपंच फैला रहा है।
गुरुवार, 22 जुलाई 2010
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