आज मेरा मन बहुत उदास है। उदास ही नहीं, खिन्न भी है। कभी-कभी मन अचानक उदास हो जाता है। आप सोचते रहते हैं कि क्यों उदास है ? तो जबाव में कुछ भी हाथ नहीं आता।
लेकिन सोचने से उदासी दूर हो जाती है, लेकिन यह बहुत बुरा होता है।
उदास होना बुरा नहीं होता हमेशा बल्कि मुझे लगता है कि हमेशा खुश रहना ही बुरा है।
मैं अभी उदास था और सोचने लगा कि क्यों उदास हूँ फिर उदासी गायब हो गई, अब मैं क्या करूं ?
उदास था तो मन आराम कर रहा था, शांत-प्रशांत सागर की तरह गहरा और ठहरा, एकांत और निर्मल।
कभी आपने गौर किया है कि ख़ुशी का सम्बन्ध हमारी मूर्खता से होता है !
नहीं, नहीं, कोई अटपटी बात नहीं कर रहा। तुलसीदास गोसाई ने भी इस प्रसंग में कुछ कह रखा है हम सब के मार्ग-दर्शन के लिए,
सब ते भले विमूढ़, जिनहि न व्यापत जगत गति।
सभी उदास नहीं हो सकते।
अमूमन लोग खुश या दुखी रहते है, उदास सिर्फ वही होगा जो दूसरों की फ़िक्र करेगा
और जो अपनी उदासी की चिंता करेगा वह दूसरों के विषय में अधिक गंभीरता से विचार न कर सकेगा। जैसे, मैं।
अब मैं उदास नहीं स्वार्थी व्यक्ति के रूप में बदल चुका हूँ, मुझे माफ़ कर दें.
मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010
माँ ! मुझे तुम याद क्यों न आती
माँ!...............
तुम मुझे याद क्यों न आती हो, माँ!
मैं इतना क्यों उलझ गया हूँ समय से
कि तुम्हारी ममता का सच कहीं खो गया मुझसे
कभी जब चल पड़ा था तरक्की के रास्ते
तुम्हारे मना करने के बावजूद
मना कर दिया था अतीत को ढोने से
माँ ! तुमने तो कहा था साफ-साफ
कि जाना है तो जाओ छोड़कर अपनी माँ को
मैं चल नहीं पाऊँगी तेरे साथ
मैं अपनी जन्म भूमि को छोड़कर
कोसता हुआ तुम्हे
तुम्हारी दकियानूसी सोच को
चल पड़ा था अरमानों की गठरी दबाए
रुक नहीं पाया हूँ आज तक
और न जाने
कितनी देर और कितनी दूर तक चलता जाऊंगा माँ!
माँ !
मुझे पुकारो मेरे स्नेहिल नाम से
चाहे तुम जहाँ भी हो
मुझे मिल जाएगा आइना
मेरी अपनी आँखों में भी समा जाएगी खुद की पहचान
माँ......
एक बार
बस एक बार याद आओ माँ
मैं तुम्हे कैसे भूल गया
माँ.... माँ......माँ .....
मैं तुम्हे कैसे याद करूँ
बताओ न माँ !
तुम मुझे याद क्यों न आती हो, माँ!
मैं इतना क्यों उलझ गया हूँ समय से
कि तुम्हारी ममता का सच कहीं खो गया मुझसे
कभी जब चल पड़ा था तरक्की के रास्ते
तुम्हारे मना करने के बावजूद
मना कर दिया था अतीत को ढोने से
माँ ! तुमने तो कहा था साफ-साफ
कि जाना है तो जाओ छोड़कर अपनी माँ को
मैं चल नहीं पाऊँगी तेरे साथ
मैं अपनी जन्म भूमि को छोड़कर
कोसता हुआ तुम्हे
तुम्हारी दकियानूसी सोच को
चल पड़ा था अरमानों की गठरी दबाए
रुक नहीं पाया हूँ आज तक
और न जाने
कितनी देर और कितनी दूर तक चलता जाऊंगा माँ!
माँ !
मुझे पुकारो मेरे स्नेहिल नाम से
चाहे तुम जहाँ भी हो
मुझे मिल जाएगा आइना
मेरी अपनी आँखों में भी समा जाएगी खुद की पहचान
माँ......
एक बार
बस एक बार याद आओ माँ
मैं तुम्हे कैसे भूल गया
माँ.... माँ......माँ .....
मैं तुम्हे कैसे याद करूँ
बताओ न माँ !
शनिवार, 3 अप्रैल 2010
भारत के हिंदी मिडिया को ' थू' है
मैं इन दिनों , जब सानिया मिर्जा के शादी के मसले पर हांफ-हांफ कर बताते हुए समाचार चैनलों पर बेचारे पुतले जैसे पत्रकारों को देखता हूँ तो उन कम-नसीबों पर बड़ी दया आती है और मिडिया के प्रबंधकों के मुंह पर थूकने का ख्याल आता है।
सानिया मिर्जा अगर पाकिस्तानी क्रिकेटर से शादी कर लेगी तो भारत की जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ में कट जाएगी वैसे ही उछल कर समाचार पढने वाले चैनल के ख़रीदे हुए गुलाम पूरे जहान को ताकीद कर रहा/रही होते है।
मुझको सानिया मिर्जा गलत नहीं लगती है, खासकर इस मसले पर। बेचारी टेनिस में जितना कुछ कर पाई उतना किया। अब बेकार हो रही है। ऐसे में अगर वो अपने औरताने शरीर को बाज़ार में बेच- परोस रही है तो हमारा निष्पक्ष हिंदी समाचार चैनल क्यों पिम्प का काम कर रहा है ?
और शिवसेना का राष्ट्रवाद तो है इसी दर्जे का राष्ट्र वाद। बिहार, उत्तर प्रदेश के लोगों महाराष्ट्र से निकाल दो तो ' ठाकरे' चचा-भतीजे सानिया पाकिस्तानी से ब्याहे या किसी की दूजी बीबी बने - तुम्हारी क्यों दाढ़ी सुर्ख हो रही ?
सानिया मिर्जा अगर पाकिस्तानी क्रिकेटर से शादी कर लेगी तो भारत की जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ में कट जाएगी वैसे ही उछल कर समाचार पढने वाले चैनल के ख़रीदे हुए गुलाम पूरे जहान को ताकीद कर रहा/रही होते है।
मुझको सानिया मिर्जा गलत नहीं लगती है, खासकर इस मसले पर। बेचारी टेनिस में जितना कुछ कर पाई उतना किया। अब बेकार हो रही है। ऐसे में अगर वो अपने औरताने शरीर को बाज़ार में बेच- परोस रही है तो हमारा निष्पक्ष हिंदी समाचार चैनल क्यों पिम्प का काम कर रहा है ?
और शिवसेना का राष्ट्रवाद तो है इसी दर्जे का राष्ट्र वाद। बिहार, उत्तर प्रदेश के लोगों महाराष्ट्र से निकाल दो तो ' ठाकरे' चचा-भतीजे सानिया पाकिस्तानी से ब्याहे या किसी की दूजी बीबी बने - तुम्हारी क्यों दाढ़ी सुर्ख हो रही ?
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