आज मेरा मन बहुत उदास है। उदास ही नहीं, खिन्न भी है। कभी-कभी मन अचानक उदास हो जाता है। आप सोचते रहते हैं कि क्यों उदास है ? तो जबाव में कुछ भी हाथ नहीं आता।
लेकिन सोचने से उदासी दूर हो जाती है, लेकिन यह बहुत बुरा होता है।
उदास होना बुरा नहीं होता हमेशा बल्कि मुझे लगता है कि हमेशा खुश रहना ही बुरा है।
मैं अभी उदास था और सोचने लगा कि क्यों उदास हूँ फिर उदासी गायब हो गई, अब मैं क्या करूं ?
उदास था तो मन आराम कर रहा था, शांत-प्रशांत सागर की तरह गहरा और ठहरा, एकांत और निर्मल।
कभी आपने गौर किया है कि ख़ुशी का सम्बन्ध हमारी मूर्खता से होता है !
नहीं, नहीं, कोई अटपटी बात नहीं कर रहा। तुलसीदास गोसाई ने भी इस प्रसंग में कुछ कह रखा है हम सब के मार्ग-दर्शन के लिए,
सब ते भले विमूढ़, जिनहि न व्यापत जगत गति।
सभी उदास नहीं हो सकते।
अमूमन लोग खुश या दुखी रहते है, उदास सिर्फ वही होगा जो दूसरों की फ़िक्र करेगा
और जो अपनी उदासी की चिंता करेगा वह दूसरों के विषय में अधिक गंभीरता से विचार न कर सकेगा। जैसे, मैं।
अब मैं उदास नहीं स्वार्थी व्यक्ति के रूप में बदल चुका हूँ, मुझे माफ़ कर दें.
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2 टिप्पणियां:
बेहतरीन प्रस्तुति ढेरों शुभकामनाएं
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