बड़ा ही मज़ेदार वाकया है।
प्लेटो ने समझाया था कि गणतंत्र में तीन तरह के लोग होते है- १) जो खिलाडियों से खेल कराता है यानि सत्ताधारी वर्ग, २) जो खेल दिखाता है यानि परफोरमर, मसलन धोनी, सचिन, युवराज वगैरह और ३) जो खेल देखता है और पैसा फेंकता है यानि जनता यानि मैं, आप, मेरे और आपके पडोसी।
ये हिसाब था छोटे से गणतंत्र का।
हमारा भारत महान गणतंत्र है। यदि आपको नहीं पता है तो अपना सामान्य ज्ञान बढाइये।
तो उस महान गणतंत्र में, ( वैसे सभी गणतंत्रों में ) बेवकूफों यानि जनता की संख्या बड़ी, बहुत बड़ी होती है। मैं उन लोगों से करबद्ध क्षमा मांगता हूँ जिन्हें बेवकूफ होते हुए भी कहलाना पसंद नहीं है, आशा नहीं पूर्ण विश्वास है, माफ़ जरुर करेंगे। जैसे थरूर, अपने भूतपूर्व मंत्री जी , को माफ़ किया। मैं तो बेवकूफ कह रहा हूँ , वे तो जानवर कह रहे थे। भूल गये क्या कैटल क्लास ?
सो खेल करवाने वाले तो कहाँ कहाँ विराजते है यह सरकारें भी नहीं जान पाती, हम तो निरीह जनता हैं। हाँ , हो सकता भगवान जानता हो, पर हम भगवान को नहीं जानते, वर्ना उन्हीं न पूछ लेते कि भैया ये दाऊद नाम की कहानी का असली हीरो कहाँ रहता है ? या यही बता दो कि कोई दाऊद है भी या कोई हमारा अपना ही उसके नाम पर खेल खेला रहा है ?
तो भाई , यह गणतंत्र है और गणतंत्र में जब जनता खुश तो सरकार खुश। दाऊद की थोड़ी सी बुराई करके सट्टा-बाज़ार खुश, अख़बार खुश, तो बेचारा ललित मोदी को क्यों घेरा गया? क्यों उसे दबा कुचल कर दलित मोदी कर दिया ?
सुनंदा पुष्कर जैसी संभ्रांत महिला से जो भिड गया था । उससे जिसने दो दो खसम को किक कर दिया है पहले ही, थरूर को उसका सुरूर हुआ - इसी वजह से सारा कुसूर हुआ।
भूल गए क्या ?
पांचाली के साथ ऐसी गुस्ताखी दुश्शासन ने किया था जिस कारण भीम ने उसकी छाती के लहू से द्रौपदी की केश सज्जा की थी।
माफ़ करना भाई ललित मोदी, थरूर तुम्हारा दलन अवश्य करवाएगा सो तुम्हारा दलित मोदी बनना तय मानो और हम खेल के प्रेमियों बेवकूफ जनता को तो माफ़ ही कर दो।
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