शनिवार, 3 अप्रैल 2010

भारत के हिंदी मिडिया को ' थू' है

मैं इन दिनों , जब सानिया मिर्जा के शादी के मसले पर हांफ-हांफ कर बताते हुए समाचार चैनलों पर बेचारे पुतले जैसे पत्रकारों को देखता हूँ तो उन कम-नसीबों पर बड़ी दया आती है और मिडिया के प्रबंधकों के मुंह पर थूकने का ख्याल आता है
सानिया मिर्जा अगर पाकिस्तानी क्रिकेटर से शादी कर लेगी तो भारत की जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ में कट जाएगी वैसे ही उछल कर समाचार पढने वाले चैनल के ख़रीदे हुए गुलाम पूरे जहान को ताकीद कर रहा/रही होते है।
मुझको सानिया मिर्जा गलत नहीं लगती है, खासकर इस मसले पर। बेचारी टेनिस में जितना कुछ कर पाई उतना किया। अब बेकार हो रही है। ऐसे में अगर वो अपने औरताने शरीर को बाज़ार में बेच- परोस रही है तो हमारा निष्पक्ष हिंदी समाचार चैनल क्यों पिम्प का काम कर रहा है ?
और शिवसेना का राष्ट्रवाद तो है इसी दर्जे का राष्ट्र वाद। बिहार, उत्तर प्रदेश के लोगों महाराष्ट्र से निकाल दो तो ' ठाकरे' चचा-भतीजे सानिया पाकिस्तानी से ब्याहे या किसी की दूजी बीबी बने - तुम्हारी क्यों दाढ़ी सुर्ख हो रही ?

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

इस "थू"कार का प्रभाव देखिए व बताइए!

बेनामी ने कहा…

jisne bhi tippani dete hue nam chhupaya hai, vah to isse sambaddh bhi hai aur aahat bhi. mai bhi sahmat hun.