जाति पर आधारित जनगणना ज़रूरी और बहुत ज़रूरी है क्योंकि हमारे महान देश में बहुत सारे संवैधानिक व्यवस्था जाति के आधार पर ही तय होती है। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण हो सकती है, लेकिन यह एक तथ्य है। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता।
बहुत लोग ऐसे हैं जो इस जातीय अंधकार का फायदा उठाकर अपने दुश्चक्रों को पूरा कर लेते हैं। मसलन, बहुत सारे ऐसे लोग है जो सवर्ण होते हुए अनुसूचित जाति का नकली दस्तावेज बनवा कर वैसी सरकारी नौकरी और सुविधाएँ प्राप्त कर लेता है जिसके लिए वह सर्वथा अयोग्य होता है। आप नजरें उठाकर देखें तो आप खुद भी ऐसे नीच किस्म के लोग दिख जाएँगे। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है कि हमारे संविधान ने ऐसी सुविधाओं की व्यवस्था पहले ही कर राखी है।
और कहने की आवश्यकता नहीं है कि कोई भी विवेकशील, प्रगतिशील और न्यायप्रिय व्यक्ति ऐसे दुश्चक्रों का समर्थन करना पसंद नहीं करेगा।
यदि जाति की संवैधानिकता पहली बार तय हो रही होती तो शायद विरोध करने का कोई अर्थ भी होता। लेकिन जब यह एक सुनियोजित व्यवस्था की तरह हमारे देश पर फरहरा लहरा रही है वैसे में इसके विरोध का कोई औचित्य समझ में नहीं आ रहा है, कि कुछ मतवाले लोग की बात का विरोध कर रहे है।
एक व्यक्ति को मैं जानता हूँ, अपने प्रान्त में वह अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है, वह इसी वर्ग का प्रमाणपत्र बनवाने गया , लेकिन जो भी मूर्ख अफसर या क्लर्क बैठा था, उसने उससे कहा कि उसका अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनेगा और उसने बनवा भी लिया क्योंकि इसमें अधिक फायदा था। ऐसे जातीय अंधेपन को दूर भागने का एक मात्र जरिया है जाति-आधारित जनगणना।
मित्रो,
जाति पर आधारित कदाचार, समर्थन और घेरे बंदी का विरोध किया जा सकता है तो करें। इस कृत्य हमारा भी सहयोग होगा।
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1 टिप्पणी:
jiti janganna sahi hi hogi
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