tag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post111634978925734953..comments2023-06-13T04:56:02.230-07:00Comments on कविता-समय: कालिदास का सौंदर्य-सम्बन्धी ऊहापोह रवीन्द्र दासhttp://www.blogger.com/profile/12304940504845206338noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post-76831124840940356512009-07-13T20:09:34.109-07:002009-07-13T20:09:34.109-07:00ravindra ji,
चित्रकार के लिए उसका चित्र ही श्रेष्ठ...ravindra ji,<br />चित्रकार के लिए उसका चित्र ही श्रेष्ठ होता है....और वैसे भी वस्तु [यहाँ चूकि स्त्री सौन्दर्य की बात हो रही है , तो स्त्री]में सदैव गुण ही दिखाई दें ,यह मुमकिन नहीं है,जबकि चित्र हमेशा एक सा दिखाई देता है.....दुर्गुणों से मुक्त,सुन्दर,चित्रकार की कल्पना के अनुरुप...क्योंकि कभी भी कोई चित्रकार भरसक दुर्गुणों को दिखने का साहस नहीं करता और वो भी अपनी कलाकृति में.....है न....अतः वस्तु से चित्र ही श्रेष्ठ है.......<br />अब पुन: हर सप्ताह रविवार को सभी ब्लागों पर [ मेरी ग़ज़ल/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी ,<br />रोमांटिक रचनाएं और <br />मेरे गीत/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी पर ]<br /> नई रचनाएँ पोस्ट कर रहा<br />हूँ ,आशा है आप का स्नेह हर रचना को पूर्ववत मिलेगा ...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.com