tag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post1051011251876098179..comments2023-06-13T04:56:02.230-07:00Comments on कविता-समय: भारत में खाना बनाना एक कला है रवीन्द्र दासhttp://www.blogger.com/profile/12304940504845206338noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post-35027820026454835142009-05-03T05:36:00.000-07:002009-05-03T05:36:00.000-07:00आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
हर सप्ताह रविवार को त...आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।<br /> हर सप्ताह रविवार को तीनों ब्लागों पर नई रचनाएं डाल रहा हूँ। हरेक पर आप के टिप्प्णी का इन्तज़ार है..... <br /> for ghazal ----- www.pbchaturvedi.blogspot.com<br /> for geet ---www.prasannavadanchaturvedi.blogspot.com<br /> for Romantic ghazal -- www.ghazalgeet.blogspot.com<br />मुझे यकीन है आप के आने का...और यदि एक बार आप का आगमन हुआ फ़िर..आप तीनों ब्लागों पर बार -बार आयेंगे/आयेंगी..........मुझे यकीन है....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post-18560159187922288262009-05-02T23:45:00.000-07:002009-05-02T23:45:00.000-07:00आपकी रचनाएं तो प्रभावशाली हैं ही, आपके टिप्पणीकार ...आपकी रचनाएं तो प्रभावशाली हैं ही, आपके टिप्पणीकार की टिप्पणियां भी ज्यादा प्रभावशाली होती हैं। खैर ... मैं तो इन्हें टिप्पणी कहने से भी बचना चाहता हूं।विभावhttp://vibhaav.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post-12537113345785556472009-05-02T12:29:00.000-07:002009-05-02T12:29:00.000-07:00अनूठी लेखन शैली, कुछ बाउंसर भी चली गयी। तीन बार पढ...अनूठी लेखन शैली, कुछ बाउंसर भी चली गयी। तीन बार पढ़ना पड़ा और अब भी लग रहा है कि आपको पूरी तरह नहीं समझ पाया। खैर अगली पोस्ट से शायद कुछ माजरा साफ हो।Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post-67236894231640096622009-05-02T10:53:00.000-07:002009-05-02T10:53:00.000-07:00... प्रभावशाली अभिव्यक्ति ।... प्रभावशाली अभिव्यक्ति ।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7150501284802635125.post-50187434517723519142009-05-02T08:10:00.000-07:002009-05-02T08:10:00.000-07:00अरे रवीन्द्र जी, अपनी कहानी पूरी तो कीजिये, बीच मे...अरे रवीन्द्र जी, अपनी कहानी पूरी तो कीजिये, बीच में ही कहाँ चल दिए! पढ़कर अच्हा लग रहा था, यह नहीं पता था की अधूरी है! खत्म कीजिये तब माफ़ करेंगे!ARUNAhttps://www.blogger.com/profile/00192544996428148809noreply@blogger.com